Class 12 Economics Chapter 1 Notes in Hindi
समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय(introduction of macro economics)

यहाँ हम कक्षा 12 अर्थशास्त्र के पहले अध्याय “समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय” के नोट्स उपलब्ध करा रहे हैं। इस अध्याय में समष्टि अर्थशास्त्र से जुड़ी प्रमुख विशेषताओं का अध्ययन किया गया है।

ये नोट्स उन छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे जो इस वर्ष बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। सरल और व्यवस्थित भाषा में तैयार की गई यह सामग्री अध्याय को तेजी से दोहराने और मुख्य बिंदुओं को याद रखने में मदद करेगी।

समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economic)

समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धांत का वह हिस्सा है जो संपूर्ण अर्थव्यवस्था से संबंधित समग्रों के व्यवहार का अध्ययन करता है जैसे राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उत्पादन।

व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro economics)

एक अर्थव्यवस्था की व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन करता है, जैसे व्यक्तिगत माँग, एक फर्म का उत्पादन।

उपभोक्ता वस्तुएँः

वे अंतिम वस्तुएँ और सेवाएँ जो प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता की मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करती हैं। उपभोक्ता द्वारा क्रय की गई वस्तुएँ और सेवाएँ, उपभोक्ता वस्तुएँ हैं।

पूँजीगत वस्तुएँः

ये ऐसी अंतिम वस्तुएँ हैं जो उत्पादन में सहायक होती हैं तथा आय सृजन के लिए प्रयोग की जाती हैं। ये उत्पादक की पूँजीगत परिसंपत्ति में वृद्धि करती हैं तथा इनकी प्रकृति टिकाऊ होती है।

अंतिम वस्तुएँ

अंतिम वस्तुएँ वह वस्तुएँ हैं जो उत्पादन की सीमा रेखा पार कर चुकी हैं और अपने अंतिम प्रयोगकर्ताओं द्वारा प्रयोग के लिए तैयार हैं। अर्थात जिनका उपयोग उपभोग या निवेश के लिए किया जाता है।

उपभोक्ता (Consumers)

वे व्यक्ति/संस्था जो अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग अपनी आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए करते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं।

उत्पादक (Producers)

वे फर्म/संस्थाएँ जो अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती हैं, उत्पादक कहलाती हैं।

मध्वर्ती वस्तुएँ

ये ऐसी वस्तुएँ और सेवायें है, जिनकी एक ही वर्ष में पुनः बिक्री की जा सकती हैं या अंतिम वस्तुओं के उत्पादन में कच्चे माल के रूप में प्रयोग की जाती हैं या जिनका रूपांतरण संभव है। ये प्रत्यक्ष रूप से मानव आपश्यकताओं की पूर्ति नहीं करती। उत्पादक द्वारा प्रयोग की गई सेवाएँ जैसे वकील की सेवाएँ; कच्चे माल आदि मध्यवर्ती वस्तुएँ होती है।

मूल्यह्रास

सामान्य टूट-फूट, अप्रचलन तथा समय प्रवाह के कारण अचल परिसंपत्तियों के मूल्य में गिरावट को मूल्यह्रास या अचल पूंजी का उपभोग कहते हैं। मूल्यह्रास स्थायी पूंजी के मूल्य को उसकी अनुमानित आयु (वर्षो में) से भाग करके ज्ञात किया जाता है।

निवेश

एक निश्चित समय मे पूंजीगत वस्तुओं के स्टॉक में वृद्धि निवेश कहलाता है। इसे पूंजी निर्माण या विनियोग भी कहते हैं।

सकल निवेशः

एक निश्चित समयावधि में पूँजीगत वस्तुओं के स्टॉक में कुल वृद्धि सकल निवेश कहलाती है। इसमें मूल्यह्रास शामिल होता है। इसे सकल पूँजी निर्माण भी कहते है।

निवल निवेशः

एक अर्थव्यवस्था में एक निश्चित समयावधि में पूंजीगत वस्तुओं के स्टॉक में शुद्ध वृद्धि निवल निवेश कहलाता है। इसमें मूल्यह्रास शामिल नहीं होता है।

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